NCERT की सातवीं कक्षा की पुस्तक में अब मुगल और दिल्ली सल्तनत का इतिहास नहीं पढ़ाया जाएगा

नई दिल्ली

नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने कक्षा 7 की सामाजिक विज्ञान की किताब में बड़ा बदलाव किया है. NCERT ने इस किताब में से मुगलों और दिल्ली सल्तनत से जुड़ा पूरा हिस्सा हटा दिया है. इसकी जगह पर ‘पवित्र स्थल’, ‘महाकुंभ’ और ‘सरकारी योजनाओं’ पर जोर दिया गया है. इस बदलाव को न्यू एजुकेशन पॉलिसी (NEP 2020) और नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क फॉर स्कूल एजुकेशन (NCFSE) 2023 के अनुरूप बताया गया है, जिसका मकसद शिक्षा में भारतीय ज्ञान, परंपराओं और स्थानीय सोच को जोड़ना है.

क्लास 7 की सामाजिक विज्ञान की किताब का नाम 'एक्सप्लोरिंग सोसाइटी: इंडिया एंड बियॉन्ड' (Exploring Society: India and Beyond) है.  रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें अब मौर्य, शुंग, सातवाहन जैसे प्राचीन भारतीय राजवंशों पर फोकस किया गया है. वहीं मुगलों, तुगलकों, खिलजियों, ममलूक और लोधी वंश जैसे मध्यकालीन शासकों का अब कोई जिक्र नहीं है.

मुगलों को इतिहास से बाहर करने की कोशिश?

प्रोफेसर अली नदीम रिजवी ने इस बारे में प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "देश का माहौल इस तरह से बदल रहा है कि मुगलों को इतिहास से गायब करने की कोशिश की जा रही है. इतिहास चाहे अच्छा हो या बुरा, वह इतिहास होता है और उसे बदला नहीं जा सकता. हां, अगर नए तथ्य सामने आते हैं, तो उन्हें शामिल किया जा सकता है, लेकिन इतिहास से किसी भी महत्वपूर्ण संदर्भ को हटा देना सही नहीं है."

प्रोफेसर रिजवी ने यह भी कहा कि इतिहास का या किसी भी विषय का सिलेबस बार-बार संशोधित किया जा सकता है, लेकिन इतिहास के कुछ पन्नों को गायब करना चिंताजनक है. उनका मानना है कि अगर नई जानकारी मौजूद है, तो उसे पाठ्यपुस्तकों में जोड़ा जा सकता है, लेकिन इतिहास के कुछ हिस्सों को हटाना या नजरअंदाज करना देश के लिए हानिकारक हो सकता है.

क्या मुगलों का योगदान मिटाने की कोशिश हो रही है?

प्रोफेसर रिजवी ने यह भी कहा कि यह बदलाव देखकर ऐसा लगता है कि मुगलों के योगदान को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश की जा रही है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को यह पता न चले कि मुगलों ने देश के इतिहास और संस्कृति में क्या योगदान दिया था. उन्होंने आशंका जताई कि यह बदलाव कहीं ना कहीं उस वातावरण का हिस्सा हो सकता है, जिसमें इतिहास को फिर से लिखा जा रहा है और कुछ हिस्सों को जानबूझकर हटा दिया जा रहा है.

प्रोफेसर रिजवी ने इस बारे में विस्तार से बताया कि अगर पाठ्यपुस्तकों में भारतीय संस्कृति, सभ्यता या समाज के बारे में बात की जा रही है, तो महाकुंभ, मेक इन इंडिया, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे विषयों को वहां शामिल किया जा सकता है, क्योंकि ये हमारे समाज और संस्कृति का हिस्सा हैं. लेकिन जहां तक इतिहास की बात है, तो इतिहास को सिर्फ इतिहास तक सीमित रखा जाना चाहिए. इतिहास को बदलने की कोशिश करना या उसमें हेरफेर करना, उनके मुताबिक, निंदनीय है.

नया पाठ्यक्रम: संस्कृति और इतिहास का सही संतुलन

प्रोफेसर रिजवी ने इस संदर्भ में कहा कि यदि किताबें संस्कृति और सभ्यता के बारे में बात करती हैं, तो उन्हें महाकुंभ और अन्य सांस्कृतिक संदर्भों को शामिल करने की आज़ादी होनी चाहिए. लेकिन इतिहास को इतिहास ही रहने देना चाहिए, और उसे बदलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. उनका कहना था कि मुगलों को 'इनविजिबल' करने की जो कोशिश हो रही है, वह भारत के इतिहास को समझने में एक बड़ी बाधा साबित हो सकती है.

कौन-से चैप्टर हटाए गए?

दिल्ली की NCERT की नई पाठ्यपुस्तकों में कक्षा 7 की किताबों से मुगल और दिल्ली सल्तनत के चैप्टर्स हटा दिए गए हैं. इन बदलावों के तहत नए अध्यायों में भारतीय राजवंश, 'पवित्र भूगोल', महाकुंभ और सरकारी योजनाओं पर जोर दिया गया है. NCERT अधिकारियों के मुताबिक, ये पाठ्यपुस्तक का पहला हिस्सा है और दूसरा हिस्सा आने वाले महीनों में जारी किया जाएगा. हालांकि, उन्होंने यह पुष्टि नहीं की कि पहले हटाए गए हिस्से वापस जोड़े जाएंगे या नहीं.

कोविड-19 महामारी के दौरान 2022-23 में NCERT ने पहले ही मुगल और दिल्ली सल्तनत पर आधारित हिस्सों को कम कर दिया था, लेकिन अब नई पाठ्यपुस्तक ने इन्हें पूरी तरह हटाने का फैसला किया गया है. 'Exploring Society: India and Beyond' नाम के सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में नए अध्याय शामिल हैं जो प्राचीन भारतीय राजवंशों जैसे मगध, मौर्य, शुंग और सातवाहन पर केंद्रित हैं.

महाकुंभ का जिक्र

नई पाठ्यपुस्तक में 'पवित्र भूगोल' नाम के अध्याय भी शामिल हैं जिसमें भारत के पवित्र स्थानों और तीर्थयात्राओं के बारे में विस्तार से बताया गया है. इसमें 12 ज्योतिर्लिंग, चार धाम यात्रा, और शक्ति पीठों का वर्णन किया गया है.

महाकुंभ मेला, जो इस साल प्रयागराज में आयोजित हुआ, उसे भी पाठ्यपुस्तक में शामिल किया गया है, जिसमें बताया गया है कि इस में लगभग 660 मिलियन यानी 66 करोड़ लोग शामिल हुए थे.

एक नया चैप्टर 'हाउ दी लैंड बिकम्स सेक्रेड’ (How the Land Becomes Sacred) भी जोड़ा गया है. इसमें बताया गया है कि भारत और दूसरे देशों में कैसे जमीन को पवित्र माना जाता है. इस चैप्टर में इस्लाम, ईसाई, यहूदी, पारसी, हिंदू, बौद्ध और सिख धर्म जैसे धर्मों के लिए भारत और विदेश में पवित्र माने जाने वाले स्थानों और तीर्थस्थलों के बारे में भी बताया गया है.

इसके अलावा, चार धाम यात्रा, 12 ज्योतिर्लिंग, शक्तिपीठ और पवित्र नदियों के संगम की चर्चा है. साथ ही यह भी बताया गया है कि किस तरह बद्रीनाथ से कन्याकुमारी तक भारत को ‘तीर्थों की भूमि’ माना गया है.

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button